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झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति, हाशिये पर पड़े समुदाय की नहीं फिक्र

झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति जारी है. सत्तारूढ़ दलों ने विधानसभा चुनाव में ओबीसी आरक्षण का दायरा 27 फीसदी करने का वादा किया था, लेकिन दो साल बाद भी हेमंत सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया है.

Politics on OBC Reservation
झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर राजनीति
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Published : Dec 10, 2021, 8:34 PM IST

Updated : Dec 11, 2021, 7:34 AM IST

रांची: बिहार से अलग होकर बने झारखंड में ओबीसी की अच्छी खासी आबादी है. लेकिन राज्य में ओबीसी हाशिए पर हैं. शुरुआत में ओबीसी को झारखंड में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलता था मगर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल केस का हवाला देते हुए तत्कालीन सरकार ने इसे घटाकर 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान कर दिया. आरक्षण का प्रतिशत घटाने के पीछे सरकार ने यह तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक 14 फीसदी ही रखा जाय. मगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी राज्य में आरक्षण का दायरा जस का तस बना हुआ है.

ये भी पढ़ें-झारखंड में ओबीसी की हकमारी! जनसंख्या अधिक, आरक्षण कम

बता दें कि झारखंड में एसटी को 26% आबादी के मुकाबले 26% आरक्षण मिल रहा है. वहीं अनुसूचित जाति को 12.1% आबादी की तुलना में 10% आरक्षण मिल रहा है. सरकार बनने के बाद सीएम ने ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 27 फीसदी, एसटी का दायरा 28 फीसदी और एससी को दायरा 12% करने की बात की थी. इसीलिए अब एक बार फिर ओबीसी आरक्षण के दायरे पर चर्चा शुरू हो गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
ओबीसी आरक्षण पर होती रही है सियासत

झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने को लेकर राजनीति होती रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी ओबीसी आरक्षण का मुद्दा छाया रहा था. भाजपा पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन दल जेएमएम, कांग्रेस और राजद ने इसे चुनावी एजेंडा बनाया था और सत्ता में आने पर ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था.मगर सरकार के दो वर्ष होने के बावजूद वादा पूरा नहीं किया जा सका. इससे एक बार फिर झारखंड की सियासत गर्म है.

सरकार बढ़ाएगी आरक्षणः आलमगीर

विपक्षी दल बीजेपी, आजसू के साथ कई सामाजिक संगठन भी ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हैं. सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि हेमंत सरकार ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण जरूर देगी. ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा था कि मुख्यमंत्री के समक्ष यह बातें रखी गईं हैं और सरकार इसपर विचार कर रही है. खास बात यह है कि इस मुद्दे पर सत्ताधारी गठबंधन की दो अहम सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल इसकी पक्षधर हैं कि ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत राज्य में बढ़ाकर 27 फीसद किया जाए. फिलहाल ओबीसी को राज्य में 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता है.

वादा कर मुकरना हेमंत सरकार का कामः बाबूलाल मरांडी

इधर ओबीसी आरक्षण पर विपक्षी दल भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है और सत्तारूढ़ दलों को उनका मेनिफेस्टो याद दिला रहा है. भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर तंज कसा है कि हेमंत सरकार वादा करके मुकरती रही है. राज्य में हमारे शासनकाल में 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दिया गया था मगर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक केस की वजह से सरकार को ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 फीसदी करनी पड़ी.

ये भी पढ़ें-झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर सियासत, विधायक अंबा प्रसाद सदन में उठाएंगी मुद्दा

सरकार सोई है कुंभकर्णी नींदः ओबीसी अधिकार मंच

वहीं 27 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे ओबीसी अधिकार मंच और आजसू ने सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है. ओबीसी अधिकार मंच के संयोजक कैलाश यादव ने हेमंत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि ओबीसी को सिर्फ वोटबैंक समझकर कुंभकर्णी नींद में राज्य सरकार सो गई है जिसे जगाकर हम अधिकार लेंगे. वहीं धरने पर बैठे आजसू नेता राजेंद्र मेहता ने कहा है कि हर हाल में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना होगा.

आंकड़ा न होना समस्या

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की अनुशंसा सरकार से पहले ही कर दी थी. मगर हकीकत यह है कि न तो सरकार के पास और न ही आयोग के पास ओबीसी से संबंधित समुचित आंकड़ा है, जिसके कारण आरक्षण का दायरा बढ़ाने का मामला खटाई में पड़ा हुआ है. इतना ही नहीं आयोग द्वारा बार बार ओबीसी का सर्वे कराने की मांग को राज्य सरकार अनसुनी कर रही है.आयोग के सदस्य सचिव ब्रजेंद्र हेमरोम ने भी डाटा के अभाव पर चिंता जताई है.

रांची: बिहार से अलग होकर बने झारखंड में ओबीसी की अच्छी खासी आबादी है. लेकिन राज्य में ओबीसी हाशिए पर हैं. शुरुआत में ओबीसी को झारखंड में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलता था मगर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल केस का हवाला देते हुए तत्कालीन सरकार ने इसे घटाकर 14 फीसदी आरक्षण का प्रावधान कर दिया. आरक्षण का प्रतिशत घटाने के पीछे सरकार ने यह तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक 14 फीसदी ही रखा जाय. मगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी राज्य में आरक्षण का दायरा जस का तस बना हुआ है.

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बता दें कि झारखंड में एसटी को 26% आबादी के मुकाबले 26% आरक्षण मिल रहा है. वहीं अनुसूचित जाति को 12.1% आबादी की तुलना में 10% आरक्षण मिल रहा है. सरकार बनने के बाद सीएम ने ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 27 फीसदी, एसटी का दायरा 28 फीसदी और एससी को दायरा 12% करने की बात की थी. इसीलिए अब एक बार फिर ओबीसी आरक्षण के दायरे पर चर्चा शुरू हो गई है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
ओबीसी आरक्षण पर होती रही है सियासत

झारखंड में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने को लेकर राजनीति होती रही है. पिछले विधानसभा चुनाव में भी ओबीसी आरक्षण का मुद्दा छाया रहा था. भाजपा पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए सत्तारूढ़ गठबंधन दल जेएमएम, कांग्रेस और राजद ने इसे चुनावी एजेंडा बनाया था और सत्ता में आने पर ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया था.मगर सरकार के दो वर्ष होने के बावजूद वादा पूरा नहीं किया जा सका. इससे एक बार फिर झारखंड की सियासत गर्म है.

सरकार बढ़ाएगी आरक्षणः आलमगीर

विपक्षी दल बीजेपी, आजसू के साथ कई सामाजिक संगठन भी ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हैं. सरकार के मंत्री आलमगीर आलम ने लोगों को भरोसा दिलाया है कि हेमंत सरकार ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण जरूर देगी. ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए मंत्री आलमगीर आलम ने कहा था कि मुख्यमंत्री के समक्ष यह बातें रखी गईं हैं और सरकार इसपर विचार कर रही है. खास बात यह है कि इस मुद्दे पर सत्ताधारी गठबंधन की दो अहम सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल इसकी पक्षधर हैं कि ओबीसी आरक्षण का प्रतिशत राज्य में बढ़ाकर 27 फीसद किया जाए. फिलहाल ओबीसी को राज्य में 14 प्रतिशत आरक्षण मिलता है.

वादा कर मुकरना हेमंत सरकार का कामः बाबूलाल मरांडी

इधर ओबीसी आरक्षण पर विपक्षी दल भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है और सत्तारूढ़ दलों को उनका मेनिफेस्टो याद दिला रहा है. भाजपा विधायक दल के नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर तंज कसा है कि हेमंत सरकार वादा करके मुकरती रही है. राज्य में हमारे शासनकाल में 27 फीसदी आरक्षण ओबीसी को दिया गया था मगर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक केस की वजह से सरकार को ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 फीसदी करनी पड़ी.

ये भी पढ़ें-झारखंड में ओबीसी आरक्षण पर सियासत, विधायक अंबा प्रसाद सदन में उठाएंगी मुद्दा

सरकार सोई है कुंभकर्णी नींदः ओबीसी अधिकार मंच

वहीं 27 फीसदी आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे ओबीसी अधिकार मंच और आजसू ने सरकार पर वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया है. ओबीसी अधिकार मंच के संयोजक कैलाश यादव ने हेमंत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि ओबीसी को सिर्फ वोटबैंक समझकर कुंभकर्णी नींद में राज्य सरकार सो गई है जिसे जगाकर हम अधिकार लेंगे. वहीं धरने पर बैठे आजसू नेता राजेंद्र मेहता ने कहा है कि हर हाल में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना होगा.

आंकड़ा न होना समस्या

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की अनुशंसा सरकार से पहले ही कर दी थी. मगर हकीकत यह है कि न तो सरकार के पास और न ही आयोग के पास ओबीसी से संबंधित समुचित आंकड़ा है, जिसके कारण आरक्षण का दायरा बढ़ाने का मामला खटाई में पड़ा हुआ है. इतना ही नहीं आयोग द्वारा बार बार ओबीसी का सर्वे कराने की मांग को राज्य सरकार अनसुनी कर रही है.आयोग के सदस्य सचिव ब्रजेंद्र हेमरोम ने भी डाटा के अभाव पर चिंता जताई है.

Last Updated : Dec 11, 2021, 7:34 AM IST
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